ज़माने ये वाले मजदूर मजबूर-मजदूर ये मजदूर सपनों को संजोने वाले राह मैं अपनी चला रात और है जीवन सच अभिशाप

Hindi पंगुता के अभिशाप और उससे  जूझकर अपनी राह बनाने वाले व्यक्तियों को समर्पित मेरी ये कविता । Poems